Monday, August 31, 2009

Main aur Woh!

एक मैं यहाँ

अपनी चिंताओं से झल्लाया सा

एक वोह बेफिक्र वहां

गुनगुनाता, मुस्कुराता , बेगाना सा


एक मैं सयाना

गहरायी से घबराया सा

एक वोह दीवाना

ऊचयिओं से भरमाया सा


मैं पहले पड़ाव पर ही

सोचूँ मंजिल को पा लिया

एक वोह ! पिछले पड़ाव से ही

नए रास्ते बनाने चला


मैं रोज़मर्रा से जूझते हुए

ठहरा इस पह्चानिसी ज़मीन पर

वोह अनजान आसमान में उड़ चला

प्रेरित एक पंछी देखकर


एक मैं किनारे किनारे

निश्चल और मौन अपने आप से भी

एक वोह तूफ़ान पे सवार

बतियाता अपनी परछाई से भी


एक मैं !

फूलों में भी काटों से बचाता हु

एक वोह !

अंगारे भी हार में पिरोता रहा


एक मैं !

संभव के दामन से लिपटा हुआ

एक वोह !

असंभव की हर सीमा लांघता रहा


Thursday, August 13, 2009

Feelings and More

I created this blog and left it at that! Wonder what this space is feeling now...

Neglected?

Expectant?

Indifferent?

I guess the space may be feeling the same as I am. Stuck ... blocked... restless! After all this space is a reflection of my feelings. I am indeed restless. In quest all the time. Its been like this for a while now.

What am I searching for? What is it that I seek? Sometimes I feel that I am in quest of the idea of seeking. Confusing, ain't it?! I mean its something like being in love with the idea of being in love.

I am in search of what I am seeking.